Monday, July 13, 2009

शास्त्रिय गीत

बाजे रे पायलिया

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राह चलत लचके पन्हारी

छलकत जात गागरिया


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बाजे रे पायलिया

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गोरे बदान पर भीगी सारी

और लगे अति सुंदर नारी

मोती बन बन टपके पानी

भीगत जात डगरिया

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बाजे रे पायलिया

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मुखरे पर आचँल मलमल का

जैसे खिलता फू कमल का

आयी जाने कौन नगर से

जाए कौन नगरिया

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बाजे रे पायलिया

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चंद्रमुखी जब लट बेखरायेह

जग सारा ये धोखा खाए

कोई कहे लो सावान आया

आए कारी बदरिया

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बाजे रे पायलिया


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